वीणा वादिनी ज्ञान की देवी (Vina vadni gyan ki devi)
।। बोलो सरस्वती माता की जय ।।
वीणा वादिनी, ज्ञान की देवी,
अपनी दया बरसा दो माँ।
मेरे सर पर हाथ धरो माँ,
ज्ञान की ज्योति जगा दो माँ ।।
तू सारे संगीत सँवारे,
रागों में आभास तेरा,
साँसों की आवाज तुझी से,
सारे सुरों में वास तेरा,
सारे सुरों में वास तेरा…
राग रागिनी मेरी सरगम,
इनको और खिला दो माँ,
मेरे सर पर हाथ धरो माँ,
ज्ञान की ज्योति जगा दो माँ ।
वीणा वादिनी, ज्ञान की देवी… ।
ग्रंथों के हर एक पन्ने पर,
तू ही शब्द सजाती है,
कलम थमा के तू कवियों से,
मीठे गीत लिखाती है,
मीठे गीत लिखाती है…
चलती रहे माँ मेरी लेखनी,
इतना योग्य बना दो माँ,
मेरे सर पर हाथ धरो माँ,
ज्ञान की ज्योति जगा दो माँ ।
वीणा वादिनी, ज्ञान की देवी… ।
तेरी कृपा से कला निखरती,
रंग खिले तस्वीरों में,
तू सतरंगी जीवन कर दे,
रंग भरे तक़दीरों में,
रंग भरे तक़दीरों में…
जग में ऊँचा नाम रहे माँ,
ऐसी युक्ति लगा दो माँ,
मेरे सर पर हाथ धरो माँ,
ज्ञान की ज्योति जगा दो माँ ।
वीणा वादिनी, ज्ञान की देवी… ।
जब जब बोलूँ कोई वाणी,
अमृत की बौछार लगे,
मधुर वचन हर मन को भाए,
वीणा की झंकार लगे,
वीणा की झंकार लगे…
कंठ बसों हे मात शारदे,
मीठे बोल सिखा दो माँ,
मेरे सर पर हाथ धरो माँ,
ज्ञान की ज्योति जगा दो माँ ।
वीणा वादिनी, ज्ञान की देवी… ।
।। बोलो सरस्वती माता की जय ।।
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